Mahashivratri 2024: भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है, यह हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला यह त्योंहार, भगवान शिव की भक्ति एवं पूजा पाठ करके उन्हें प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है।इस पवित्र दिन देवों के देव महादेव शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त उनकी विशेष पूजा अर्चना करते हैं, उपवास रखते हैं, और भजन-कीर्तन करते हैं। पूरे भारत देश में इस दिन सभी शिव मंदिरों में सुबह से ही शिव जी की पूजा के लिए भक्तों का ताँता लग जाता है। इस लेख में, हम आपको Mahashivratri 2024 के बारे में विस्तार से बताएंगे। हम आपको Mahashivratri 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा, और महत्व के बारे में जानकारी देंगे।
साल 2024 में महाशिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जाएगी।
Contents
Mahashivratri 2024 के शुभ मुहूर्त
- निशीथ काल में पूजा का मुहूर्त: 9 मार्च को मध्यरात्रि 12 बजकर 18 मिनट से मध्यरात्रि 01 बजकर 08 बजे तक
- पहले प्रहार की पूजा का मुहूर्त: शाम 6 बजकर 25 मिनट से रात्रि 9 बजकर 28 मिनट तक
- दुसरे प्रहार की पूजा का मुहूर्त: रात्रि 9 बजकर 28 मिनट से मध्य रात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक
- तीसरे प्रहर की पूजा का मुहूर्त: मध्य रात्रि 12 बजकर 31 मिनट से 3 बजकर 34 मिनट तक
- चौथे प्रहर की पूजा का मुहूर्त: रात्रि 3 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 37 मिनट तक
Mahashivratri 2024 पूजा विधि:
- महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ शिव की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- अब पूजा के लिए सामग्री ( शिवलिंग, जल, दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत, फूल, बेलपत्र, धूप, दीप, फल, मिठाई, चंदन, भांग, धतूरा, रुद्राक्ष ) आदि ले लें।
- पूजा सामग्री लेने के बाद पूजा स्थान को साफ करके गंगाजल छिड़कें।
- अब एक पात्र में शिवलिंग स्थापित करके शिवलिंग को जल से स्नान करवाएं, फिर दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद फिर से जल से अभिषेक करें।
- अब शिवलिंग पर चन्दन का लेप लगायें ( आप चाहें तो चन्दन का तिलक भी लगा सकते हैं )।
- अब शिवलिंग पर फल, फूल, धूप, दीप, बेलपत्र, भांग, धतूरा, इत्यादि अर्पित करें।
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप और शिव चालीसा का पाठ करके आरती करें।
- अब भोलेनाथ से यह कामना करें हे प्रभु मेरे द्वारा की गई इस पूजा को स्वीकार करें और भूलवश मुझसे पूजा में कोई कमी रह गई हो तो मुझे क्षमा करें।
- शिवरात्रि के दिन आपको भोलेनाथ शिव के मन्त्रों का जाप करते रहना चाहिए और हो सके तो रात भर जागरण करें।
- फिर अगले दिन पूरे विधि विधान से व्रत का पारण करें।
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Mahashivratri 2024 व्रत कथा:
एक बार चित्रभानु नाम का एक शिकारी था जो अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए जानवरों का शिकार करता था। एक बार महाशिवरात्रि के दिन एक साहूकार ने उसे अपना ऋण नहीं चूका पाने के कारण एक शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग ये हुआ की उस दिन महाशिवरात्रि थी।
शिवमठ में बंदी रहते हुए वह भोलेनाथ शिव की कथाएं सुनता रहा। शाम को जब साहूकार वहां आया तो चित्रभानु ने उससे विनती की और कहा की मैं कल तक आपका सारा कर्जा ऋण चूका दूंगा। तब साहूकार ने उसे कल तक ऋण नहीं चूका पाने पर सजा देने की बात कहकर उसे जाने दिया।
शिवमठ से निकलने के बाद चित्रभानु शिकार करने जंगल में गया लेकिन उसे कोई शिकार नहीं मिला और रात होने लगी और वह थक गया। तब उसने एक पेड़ पर आराम करने का फैसला किया। वह पेड़ बेलपत्र का था और उस पेड़ के निचे एक शिवलिंग था। चित्रभानु को पेड़ के नीचे शिवलिंग होने का पता नहीं था। रात भर वह पेड़ पर मचान बनाकर सोता रहा। सोते समय बेलपत्र की कुछ टहनियां शिवलिंग पर गिर गयीं।
इस तरह से भूखे प्यासे रहकर शिकारी का शिवरात्रि का व्रत हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। रात्रि में कुछ समय उसने एक हिरण को देखा और सुका शिकार करने के लिए धनुष पर तीर चढ़ा लिया, तभी हिरण बोली की मैं गर्भवती हूँ तुम मुझे अभी मत मारो वर्ना तुमसे दो जीवों की हत्या होगी, थोड़ी देर में प्रसव कर लूँ उसके बाद तुम मेरा शिकार कर लेना। उसके बाद चित्रभानु को दया आई और उसने हिरण को जाने दिया। धनुष उठाने के कारण इस बार भी बेलपत्र के कुछ पत्ते शिवलिंग पर गिर गये।
कुछ समय बाद उसे एक और हिरण दिखी और उसने हिरण का शिकार करने के लिए जैसे ही धनुष उठाया तो कुछ पत्ते फिर से शिवलिंग पर जा गिरे। चित्रभानु को शिकार के लिए धनुष उठाता देखकर वह हिरण बोली की में थोड़ी देर पहले ही ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातूर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की तलाश में हूं। अभी मुझे जाने दो, चित्रभानु को दया आ गई और उसने उसे जाने दिया। कुछ समय बाद उसे कुछ बच्चों के साथ दिर एक हिरण दिखाई दी, उसने ठान लिया था की इस बार तो मैं इस हिरण का शिकार करके ही रहूँगा।
जैसे ही वह हिरण का शिकार करने लगा तब हिरण बोली की मेरे साथ मेरे बच्चे हैं एक बार में अपने बच्चों को अपने पति के पास छोड़ दूँ उसके बाद तुम मेरा शिकार कर लेना। शिकारी ने कहा की दो मार मैं शिकार से चूक गया हूँ तो इस बार मैं शिकार करके ही रहूँगा। हिरण के बहुत बार विनती करने पर चित्रभानु ने उसे भी छोड़ दिया, भूलवश उससे इस बार भी शिवलिंग पर कुछ पत्ते गिर गये।
इस प्रकार उससे रात्रि में भूखे प्यासे रहने से शिवरात्रि का व्रत हो गया और तीन प्रहर की पूजा संपन्न हो गई। इस व्रत के कारण चित्रभानु को महादेव शिव की कृपा प्राप्त हुई जिससे उसे मोक्ष मिला। भोलेनाथ के आशीर्वाद से उसे अगले जन्म में भी ये बातें याद रही और उसने अगले जन्म में शिवरात्रि के व्रत से भोलनाथ की कृपा प्राप्त की।
FAQ: About Mahashivratri 2024
महाशिवरात्रि कब है?
साल 2024 में महाशिवरात्रि 08 मार्च, 2024 शुक्रवार को मनाई जायेगी।
महाशिवरात्रि का त्योंहार मनाये जाने के पीछे क्या कारण है ?
शास्त्रों के अनुसार इस दिन भोलनाथ शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन क्या खा सकते हैं?
महाशिवरात्रि के दिन आपको फलहार, दूध और बिना अनाज से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए।
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