Masik Krishna Janmashtami 2024 : साल की पहली मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर ऐसे करें लड्डू गोपाल की पूजा

Masik Krishna Janmashtami 2024: वैसे तो कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. लेकिन पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भी मासिक कृष्ण जन्माष्टमी ( Masik Krishna Janmashtami ) के रूप में मनाई जाती है। साल 2024 की पहली मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 3 जनवरी 2024, पड़ रही है। कृष्ण जन्माष्टमी को जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है की इस दिन भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान पूजा और व्रत से करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइये जानते हैं इस दिन श्री कृष्ण की पूजा कैसे करें।

Masik Krishna Janmashtami

मासिक जन्माष्टमी 2024 की पूजा विधि

इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद एक चौकी पर लाल कपडा बिछाकर कृष्ण जी स्नान करवाने के लिए एक पात्र रखें। अब पात्र में लड्डू गोपाल की मूर्ति रखें। अब लड्डू गोपाल जी के सामने दीपक या धुप जलाकर रखने के बाद उन्हें पंचामृत से स्नान करवाएं और फिर गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान करवाएं। अब एक साफ़ कपडे से पौंछकर वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार करें। इसके बाद चन्दन या रोली से तिलक करके अक्षत लगायें। अब लड्डू गोपाल के सामने दीपक जलाकर माखन मिश्री या अन्य पकवान जो भी आपके घर में बना हो उनका भोग लगायें। ध्यान रखें की श्री कृष्ण जी के भोग में तुलसी का पत्ता जरुर शामिल करें। इसके बाद आप कान्हा जी की आरती करें।

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मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर करें इन मंत्रों का जाप

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
  • हरे कृष्ण करे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
  • कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः
  • ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय नमः
  • ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे।  सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।

साल 2024 में कब कब है मासिक कृष्ण जन्माष्टमी

जनवरी, 2024, बुधवार

फरवरी, 2024, शुक्रवार

मार्च, 2024, रविवार

अप्रैल, 2024, सोमवार

मई, 2024, बुधवार

30 मई, 2024, बृहस्पतिवार

28 जून, 2024 शुक्रवार

27 जुलाई, 2024, शनिवार

26 अगस्त, 2024, सोमवार

24 सितंबर, 2024 मंगलवार

22 नवंबर, 2024, शुक्रवार

22 दिसंबर, 2024, रविवार

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मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा

भागवत पुराण के अनुसार द्वापर युग के अंत में मथुरा नगरी में कंश समेत कई दैत्यों के अत्याचारों से समस्त जनता परेशान हो चुकी थी। कंश इतना अत्याचारी था उसने सिंहासन हड़पने के लिए अपने पिता को जेल में कैद करवा दिया था। एक बार कंश को आकाशवाणी सुनी की तुम्हारी बहन के गर्भ से होने वाली आठवीं संतान ही तुम्हारे अंत का कारण बनेगी। यह आकाशवाणी सुनकर कंश ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को कारावास में दाल दिया। कारगर में रहने के दौरान कंश देवकी के होने वाली सभी संतानों को जन्म लेते ही मरता रहा। फिर देवकी ने आठवीं संतान के रूप में देवकी ने श्री कृष्ण को जन्म दिया और कंश के डर से वासुदेव ने श्री कृष्ण को अपने प्रिय मित्र नंद जी को दे दिया और उनसे उनकी कन्या ले आये। यह कन्या योग माया थीं, जिसने कन्या के रूप में जन्म लिया था। कंश को जब देवकी की आठवीं संतान के का पता चला तब कंश ने कन्या देखकर उसे मारने का प्रयास किया। तब उस कन्या ने कंश को कहा की मुर्ख तुझे मारने वाला जन्म ले चूका है और वह सकुशल वृन्दावन पहुँच गया है। इस प्रकार द्वापर युग में श्री कृष्ण ने जन्म लिए और सभी दैत्यों का संहार कर मथुरावासियों को उनके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई।

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