Bajrang Baan : बजरंग बाण का पाठ देता है चमत्कारी परिणाम, लेकिन पहले जान लें ये बातें

Bajrang Baan: कहते हैं अगर व्यक्ति किसी ऐसे संकट या परेशानी में आ जाए की जिसका उसे कोई भी उपाय या समाधान नहीं मिल रहा है. तो बजरंग का बाण पाठ करने से हनुमान जी स्वयं उसकी रक्षा करते हैं और उसे उन संकटों से मुक्त करवाते हैं. लेकिन बजरंग बाण इतना चमत्कारी और दिव्य है की उसे हर किसी काम के लिए उपयोग में लेना उचित नहीं है. काई ज्योतिषविद और धर्मशास्त्री बजरंग बाण का पाठ करने के लिए मना भी करते हैं. आइये जानते हैं की बजरंग बाण का पाठ करने के महत्व, नियम, विधि और लाभ के बारे में.

बजरंग बाण पाठ का महत्व

Bajrang Baan

बजरंग बाण के बारे में कहा जाता है की यह ब्रह्मास्त्र के समान एक दिव्य अस्त्र है जिसके पाठ से बड़े से बड़े संकटों और परेशानियों से छुटकारा मिलता है. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि बजरंग बाण की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने जब की थी जब उनकी जान पर बन आई थी. तुलसीदास जी ने बजरंग बाण के साथ ही हनुमान चालीसा, हनुमान बाहुक, रामचरित मानस सहित काई महत्वपूर्ण रचनाएं की है. तुलसी दास जी ने अपने प्राणों की रक्षा और समस्त मानव जाती के कल्याण के लिए इसकी रचना की है. बजरंग बाण एक ब्रह्मास्त्र की तरह है और ये तुरंत ही काम करता है इसलिए इसका पाठ रोजाना नहीं करना चाहिए. बजरंग बाण को हनुमान का सबसे शक्तिशाली पाठ भी कहा जाता है. इसके साथ ही बजरंग बाण को बजरंग बलि की कृपा और आशीर्वाद पाने का सबसे अचूक उपाय माना जाता है.

किन परिस्थितयों में करें बजरंग बाण का पाठ

बजरंग बाण का पाठ आपको उस समय करना चाहिए जब आपके जीवन में ऐसी परेशानियाँ आ जाएँ जिनका समाधान कहीं से भी नहीं निकल रहा है. लेकिन इसका मतलब यह नही है की आप हर छोटी छोटी समस्याओं के लिए इसका पाठ करें, बल्कि कई विशेष परिस्थितियों जैसे की आपकी जान पर कोई संकट आ जाए या कोई भूत प्रेत बाधा या कोई नकारात्मक उर्जा आपको परेशान कर रही हो या किसी समस्या से निकलने का कोई रास्ता ना मिल रहा हो और सारे रास्ते बंद हो गये हों कहीं से भी कोई समाधान ना मिल रहा हो तभी आपको बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए.

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कब नहीं करें बजरंग बाण का पाठ

ब्रहमास्त्र माने जाने वाले बजरंग बाण का पाठ हर कभी करना नकारात्मक प्रभाव भी दे सकता है. क्योंकि बजरंग बाण में हनुमान जी को प्रभु श्री राम की सौगंध दी जाती है इसलिए बिना किसी विशेष कारण के इसका पाठ करने से संकटों की समाधान की जगह और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. आइये जानते हैं कुछ ऐसी परिस्थियों के बारे में जिनमे बजरंग बाण का पाठ भूलकर भी नहीं करना चाहिए.

  • बजरंग बाण का पाठ किसी भी अनैतिक कार्य जैसे किसी का बुरा करना, किसी पर विजय पाना या किसी को भी किसी प्रकार की हानि पहुंचाने के लिए नहीं करना चाहिए.
  • अपनी किसी भी जरुरत जैसे की धन, मकान, गाडी या अन्य कोई भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए इसका पाठ ना करें.
  • बिना मेहनत किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए भी बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए.
  • बिना किसी कारण के भी बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए, इसका पाठ किसी विशेष और अति आवश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए.

कैसे करें बजरंग बाण का पाठ

बजरंग बाण का पाठ करने के लिए सबसे पहले हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर एक आसन पर लगा लें. इसके बाद हनुमान की सामने एक दिया जलाकर उसके पास ही एक ताम्बें के बर्तन में पानी भरकर रख देना है. इसके बाद हनुमान जी से प्रार्थना करनी है की हे भगवान में इस पीड़ा में हूँ और इसका निवारण कहीं से भी नहीं हो रहा है. मेरा यह पाठ स्वीकार कीजिये और पाठ में कोई भूल चूक हो तो मुझे क्षमा कर दीजिये. उसके बाद आप बजरंग बाण का पाठ शुरू करने से पहले प्रभु श्री राम के नाम का 108 बार जाप कर लीजिये. बजरंग बाण का पाठ आप मंगलवार या शनिवार को शुरू कर सकते हैं और यह पाठ 11 या 21 बार करना है. इस प्रकार बजरंग बाण का पाठ करने से हनुमान जी अपने भक्त की पीड़ा को दूर करते हैं.

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बजरंग बाण के पाठ से होने वाले लाभ

  • वैसे तो बजरंग बाण का पाठ करने का सबसे बड़ा लाभ तो यही है की हनुमान जी की कृपा से आपको तुरंत ही एक सकारात्मक उर्जा का एहसास होगा और बहुत जल्द आपकी समस्या का समाधान भी हो जाएगा.
  • इसके अलावा बजरंग बाण के पाठ से जीवन में घटनाओं को अंजाम देने वाले ग्रह राहू केतु और शनि शांत होते हैं
  • बजरंग बाण के पाठ से विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और मंगल दोष दूर होता है.
  • बजरंग बाण का पाठ करने पर मन से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं.

Bajrang Baan lyrics

दोहा 

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥

जय हनुमन्त संत हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज बिलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महासुख दीजै ।।
जैसे कूदी सिन्धु महि पारा । सुरसा बदन पैठी विस्तारा ।।
आगे जाय लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम-पद लीना ।।
बाग उजारि सिन्धु मह बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ।।
अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेटि लंक को जारा ।।
लाह समान लंक जरि गई । जय-जय धुनि सुरपुर में भई ।।
अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी । कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।।
जय जय लखन प्रान के दाता । आतुर होई दु:ख करहु निपाता ।।
जै गिरिधर जै जै सुख सागर । सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ओम हनु हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहि मारो । महाराज प्रभु दास उबारो ।।
ओंकार हुंकार महाप्रभु धाओ । बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ ।।
ओम ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा । ओम हुं हुं हुं हनु अरि उर-सीसा॥
सत्य होहु हरी शपथ पायके । राम दूत धरु मारू जायके
जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।
पूजा जप-तप नेम अचारा । नहिं जानत हो दास तुम्हारा ।।
वन उपवन मग गिरि गृह मांहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
पायं परौं कर जोरी मनावौं । येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
जय अंजनी कुमार बलवंता । शंकर सुवन वीर हनुमंता ।।
बदन कराल काल कुलघालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक ।।
भूत प्रेत पिसाच निसाचर। अगिन वैताल काल मारी मर ।।
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की । राखउ नाथ मरजाद नाम की ।।
जनकसुता हरि दास कहावो । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।
जै जै जै धुनि होत अकासा । सुमिरत होत दुसह दुःख नासा ।।
चरण शरण कर जोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
उठु उठु चलु तोहि राम-दोहाई । पायँ परौं, कर जोरि मनाई ।।
ओम चं चं चं चं चपल चलंता । ओम हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।
ओम हं हं हाँक देत कपि चंचल । ओम सं सं सहमि पराने खल-दल ।।
अपने जन को तुरत उबारौ । सुमिरत होय आनंद हमारौ ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कोन उबारै ।।
पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करैं प्रान की ।।
यह बजरंग बाण जो जापैं । ताते भूत-प्रेत सब कापैं ।।
धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेसा ।।

दोहा : 

प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान ।।

Disclaimer: यहां उपलब्ध कराई गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां आपको यह बताना जरूरी है कि FreeGreet.in किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। यहाँ उपलब्ध किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें

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