अयोध्या के राम मंदिर में प्रभु राम के बाल स्वरुप की मूर्ति विराजमान हो चुकी है, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड के बीच होगी .

आइये जानते हैं पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई रामलला की इस मूर्ति के बारे में ऐसी बातें जो मूर्ति को बेहद ख़ास बनाती हैं 

विष्णु जी के 10 अवतार

इस मूर्ति के चारों तरफ बनी पट्टी पर विष्णु जी के 10 अवतारों मत्स्य, कुर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि के दर्शन करने को मिलेंगें. 

मूर्ति के ऊपर स्थित चिन्ह

रामलला की इस मूर्ति पर प्रभु श्री राम के मुकुट के पास तराशे गये सूर्य, स्वस्तिक, ओम, गदा और चक्र मूर्ति को बेहद ख़ास बना देते हैं. 

मूर्ति की लम्बाई और चौड़ाई

करीब 200 किलोग्राम की इस मूर्ति की ऊंचाई 4.24 फीट और चौड़ाई 3 फीट है। इस मूर्ति का निर्माण बिना कोई पत्थर जोड़े सिर्फ एक ही पत्थर से किया गया है.  

दोनों और हैं हनुमान जी और गरुड़ देव 

मूर्ति के चारों ओर बनी पट्टी में एक तरफ नीचे रामभक्त हनुमानजी और दूसरी ओर विष्णु जी के वाहन गरुड़ देव की बनी मूर्तियाँ इसकी सुन्दरता को और बढ़ा देती हैं। 

रामलला का बाल स्वरुप 

काले पत्‍थर से बनी इस मूर्ति में प्रभु श्री राम को 5 साल के बाल रूप में दर्शाया गया है। रामलला के बाल स्वरुप की यह मनमोहक छवि सबको आकर्षित कर रही है। 

कर्नाटक के अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई इस मूर्ति में प्रभु के दायें हाथ को आशीर्वाद देने की मुद्रा में और बाएं हाथ में धनुष रखने की मुद्रा में दर्शाया गया है .  

रामलला की मूर्ति के मूर्तिकार 

मूर्ति का निर्माण श्याम रंग के जिस पत्थर से किया गया है , उसकी उम्र हजारों साल होती है और हल्दी और चन्दन से स्नान करवाने पर भी मूर्ति की चमक में कोई कमी नहीं आएगी.  

मूर्ति का पत्थर है ख़ास

इस मूर्ति में रामलला की छव‍ि का अद्भुत आकर्षण है। मानो साक्षात भगवान राम के बाल अवतार के दर्शन हो गए हों। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी तो शेयर जरुर करें.