ख़ामोशी शायरी

मेरी खामोशी देखकर मुझसे ये जमाना बोला कि…!! तेरी संजीदगी बताती है तुझे हँसने का शोक था कभी…!

लब तो खामोश रहेंगे... ये वादा है मेरा तुमसे... अगर कह बैठी कुछ निगाहें... तो खफा मत होना...

“बहुत अलग सा है…मेरे इश्क़ का हाल, उसकी ख़ामोशी और मेरे लाखों सवाल…!” 

खामोशी और उदासी भरी एक शाम आएगी… मेरी एक तस्वीर सम्भाल कर रखना तुम्हारे काम आएगी… 

मत पूछों हमसे हमारी बेचैनियों का आलम , ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं बातें हम कर नहीं पायेंगे 

तुमसे ज्यादा तुम्हारे ख्यालों ने सताया है बातों का अफ़सोस नहीं तेरी ख़ामोशी ने रुलाया है 

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